Unique Land Parcel Identification Number: जमीन का भी आधार कार्ड; ULIP Card करेगा वाद -विवाद को खत्म

Unique Land Parcel Identification Number: अक्सर आपने भी अपने गांव में जमीन से संबंधित छोटी – छोटी बातों पर एक दूसरे को लड़ते हुए देखा होगा। जो कभी – कभी जानलेवा भी बन जाता है। सरकार इस प्रकार की समस्याओं को हमेशा के लिए खत्म कर हर जमीन के लिए यूनिट कोड बनाने की बात लेकर आई है। जिसे भू-आधार कहा जाएगा, यह जमीन के विवरण को डिजिटल और स्थाई रुप से सुरक्षित रखेगा।

भू – आधार क्या है? 

जैसे हर आदमी का यूनिक आधार नंबर होता है, वैसे ही हर जमीन के लिए एक यूनिक कोड बनाया जाएगा। जिसे Unique Land Parcel Identification Number (ULPIN) या भू-आधार भी कहा जाता है। 

ये आपकी जमीन के हर ब्यौरे जैसे नक्सा, खेत की माप और जियो टैगिंग को सुरक्षित रखेगा। यह एक 14 अंकों की अल्फा-न्यूमैरिक कोड होता है, जो हर जमीन के लिए यूनिक होगा। ये कोड Latitude और Longitude पर आधारित होता है। इस विधि से जमीन की सटीक जानकारी मिल पाती है। 

भू आधार से मिलने वाली जानकारी 

किसी भी जमीन के बारे में सटीक जानकारी के लिए भू-आधार बहुत उपयोगी होगा। आइये इसके बारे में जानें – 

  • जमीन की भौगोलिक स्थिति 
  • भूमि स्वामी की जानकारी 
  • जमीन की रासायनिक जानकारी, जिससे फसल उत्पादन में सहयोग हो। 
  • भूमि पर लिए गए लोन 
  • नक्शे पर सटीक लोकेशन
  • जमीन के अंदर खनिज या जलस्तर की जानकारी 

भू आधार कार्ड के लाभ 

  • जमीन के सही रिकॉर्ड से आपस में झगड़ा नहीं होंगे, दो गांव के बीच सीमा का विवाद भी नहीं होगा।
  • जमीन को खरीदने और बेचने में आसानी के साथ पारदर्शिता भी होगी। 
  • आपकी जमीन का मापन सेटेलाइट के द्वारा किया जाएगा, जिसे जियो टैगिंग कहते हैं। इससे जमीन की असली स्थिति के बारे में पता चल पाएगा। 
  • तहसील स्तर पर भूमि संबंधी मामलों में भ्रष्टाचार खत्म हो पाएगा। 
  • इस कार्ड से जमीन के मालिक का नाम, उसको खरीदने बेचने की जानकारी, जमीन का क्षेत्रफल जैसे विवरण भू-आधार कार्ड में मौजूद रहेंगे। 
  • भू-आधार कार्ड से जमीनों में हेर-फेर नहीं की जा सकती। 
  • न्यायालय में जमीन से जुड़े मामलों में जल्दी निपटारा संभव होगा। 
  • भू-आधार कार्ड से प्राकृतिक संसाधनों के लिए जमीन का सही उपयोग और प्रबंध किया जा सकेगा।

भू-आधार कार्ड बनवाने का तरीका 

आपको बता दें कि भू-आधार कार्ड बनवाना बहुत आसान है, इसके लिए किसानो या भु-स्वामियों को कहीं जाने की या ऑनलाइन आवेदन करने की जरूरत नहीं होगी। राज्य सरकार के कर्मचारी प्रत्येक गांव में कैंप लगाकर आपकी जमीनों का डाटा इकट्ठा करेंगे। 

  • भू आधार कार्ड सभी के लिए आवश्यक है, चाहे वह जमीन कृषि योग्य हो या घर बनाने के लिए शहर में लिया गया  प्लॉट। दोनों प्रकार की जमीनों पर लागू होगा। 
  • भू-आधार कार्ड बनाने के लिए राज्य सरकार के कर्मचारी प्रत्येक गांव में कैंप लगाकर किसानों से जमीन संबंधी पूरा विवरण प्राप्त करेंगे, और जिओ टैगिंग के जरिये उसका मापन भी करेंगे। 
  • जमीन संबंधी पूरे विवरण को जैसे नक्शा, नापतोल, जियो टैगिंग की जानकारी और जमीन का मालिकाना जैसी पूरी जानकारी भू-आधार कार्ड में डिजिटल रूप से दर्ज होगी।

आपको बता दें कि भू-आधार से अनगिनत समस्याओं का समाधान होने वाला है। भू-आधार कार्ड बन जाने के बाद आपस में झगडे नहीं होंगे और कोई दबंग भी किसी की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा नहीं कर सकेगा।

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